1. जलवायु और भूमि चयन
- गोभी की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु उत्तम होती है।
- 15-25°C तापमान गोभी की बढ़वार के लिए उपयुक्त होता है।
- दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें उचित जल निकास हो, सबसे अच्छी होती है।
- pH मान 6.0-7.0 के बीच होना चाहिए।
2. बीज चयन और बुवाई
- उन्नत किस्में: पूसा संप्रदा, पूसा दीपशिखा, गोल्डन एकर, ग्रीन एक्सप्रेस आदि।
- बुवाई का समय:
- ग्रीष्मकालीन फसल – मार्च-अप्रैल
- शीतकालीन फसल – सितंबर-अक्टूबर
- बीज दर: प्रति हेक्टेयर 500-600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
- बीज को नर्सरी में तैयार करके 4-5 सप्ताह बाद मुख्य खेत में रोपाई करें।
3. खेत की तैयारी और खाद
- खेत की 2-3 बार जुताई करें और पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी करें।
- 20-25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें।
- 100:50:50 कि.ग्रा. NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) दें।
- रोपाई के बाद टॉप ड्रेसिंग में नाइट्रोजन की मात्रा दें।
4. सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई
- सिंचाई की जरूरत मिट्टी और मौसम पर निर्भर करती है।
- सर्दियों में 7-10 दिन के अंतराल पर और गर्मियों में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
5. कीट एवं रोग नियंत्रण
- कीट:
- हीरा पतंगा: बवेरिया बेसियाना जैविक कीटनाशक का उपयोग करें।
- गोभी लट: नीम का तेल (5%) या क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव करें।
- रोग:
- झुलसा रोग: मैंकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
- काली सड़न: कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग करें।
6. कटाई और उत्पादन
- रोपाई के 70-120 दिन बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- फसल का उत्पादन किस्म और देखभाल पर निर्भर करता है, औसतन 250-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है।
7. विपणन और भंडारण
- ताजा गोभी बाजार में बेचें या कोल्ड स्टोरेज में 0-2°C पर भंडारण करें।
- बेहतर दाम के लिए पास के मंडी या प्रोसेसिंग यूनिट से संपर्क करें।
अगर आप जैविक खेती करना चाहते हैं, तो रसायनों के बजाय जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करें।
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