पालक की खेती की पूरी जानकारी

3 / 100

पालक की खेती की पूरी जानकारी

पालक (Spinach) एक हरी पत्तेदार सब्जी है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है और इसे सालभर उगाया जा सकता है।


1. जलवायु और भूमि चयन

  • पालक ठंडी जलवायु में अच्छी होती है लेकिन इसे गर्मियों में भी उगाया जा सकता है।
  • 15-25°C तापमान इसके लिए आदर्श होता है।
  • दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जैविक तत्व अधिक हों और जल निकासी अच्छी हो, सबसे उपयुक्त होती है।
  • मिट्टी का pH मान 6.0-7.5 होना चाहिए।

2. उन्नत किस्में

देशी किस्में:

  • पूसा हरित
  • पूसा भारती
  • जोधपुर पालक

संकर और उन्नत किस्में:

  • अर्का अनुपमा
  • पालक नंबर-48
  • हिसार सेलेक्शन-1

3. बुवाई का समय

  • ग्रीष्मकालीन फसल: फरवरी-मार्च
  • वर्षा ऋतु फसल: जुलाई-अगस्त
  • शीतकालीन फसल: सितंबर-नवंबर

4. बीज की मात्रा और बुवाई विधि

  • प्रति हेक्टेयर 20-25 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
  • बीज को बुवाई से पहले 24 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जिससे अंकुरण अच्छा होता है।
  • बीज को 2-3 सेमी गहराई पर 20-25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में बोना चाहिए।
  • 4-6 सप्ताह बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

5. खेत की तैयारी और खाद-उर्वरक प्रबंधन

  • खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बनाएं।
  • प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।
  • रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (50 कि.ग्रा.), फॉस्फोरस (30 कि.ग्रा.), और पोटाश (30 कि.ग्रा.) प्रति हेक्टेयर दें।
    • नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और आधी कटाई के बाद दें।

6. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

  • गर्मियों में हर 5-6 दिन और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
  • वर्षा के मौसम में जल निकासी का विशेष ध्यान रखें।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें।

7. प्रमुख कीट और रोग नियंत्रण

कीट:

  1. लीफ माइनर (पत्तियों में सुरंग बनाने वाला कीट) – नीम तेल (5%) या डाइमिथोएट का छिड़काव करें।
  2. एफिड (चेपा कीट) – इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।

रोग:

  1. पत्ती धब्बा रोग – मैंकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
  2. फ्यूजेरियम विल्ट (मुरझाने की बीमारी) – कार्बेन्डाजिम का उपयोग करें।

8. कटाई और उपज

  • बुवाई के 30-40 दिन बाद पहली कटाई करें।
  • एक फसल से 3-4 कटाई ली जा सकती है।
  • औसत उपज 80-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

9. विपणन और भंडारण

  • पालक को ताजा बाजार में सीधे बेचा जाता है।
  • भंडारण के लिए इसे 0-4°C पर रखा जा सकता है।
  • प्रोसेसिंग यूनिट्स (सूखा पालक पाउडर, फ्रोजन पालक) के लिए भी बेच सकते हैं।

10. जैविक खेती के लिए सुझाव

  • रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली, हरी खाद का उपयोग करें।
  • जैविक कीटनाशकों (जैसे नीम तेल और ट्राइकोडर्मा) का प्रयोग करें।
  • ड्रिप सिंचाई अपनाकर पानी की बचत करें।

निष्कर्ष

पालक की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। सही तकनीकों का उपयोग करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

क्या आप पालक की खेती पारंपरिक तरीके से करना चाहते हैं या जैविक तरीके से?

Leave a Comment