मकई (मक्का) की खेती की पूरी जानकारी
मक्का (Maize) एक बहुपयोगी फसल है, जिसका उपयोग अनाज, चारा, तेल, और औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। इसकी खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली होती है।
1. जलवायु और भूमि चयन
- मक्का गर्म और समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है।
- 20-35°C तापमान और 50-100 सेमी वार्षिक वर्षा इसकी खेती के लिए उत्तम होती है।
- जल निकासी वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- मिट्टी का pH मान 5.5-7.5 होना चाहिए।
2. उन्नत किस्में
देशी किस्में:
- गंगा-5
- दीपू-51
- प्रभात
- नवज्योति
संकर और उन्नत किस्में:
- पीएमएच-1, पीएमएच-2
- पूसा संकर मक्का-3
- विवेक संकर मक्का-45
- हिसार संकर मक्का-108
3. बुवाई का समय
मौसम | बुवाई का समय |
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खरीफ (मानसून) | जून-जुलाई |
रबी (सर्दी) | अक्टूबर-नवंबर |
जायद (गर्मी) | फरवरी-मार्च |
4. बीज की मात्रा और बुवाई विधि
- बीज दर: 20-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर
- कतार से कतार की दूरी: 60-75 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 18-25 सेमी
- बीज को 3-5 सेमी गहराई में बोएं।
- बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।
5. खेत की तैयारी और खाद-उर्वरक प्रबंधन
- खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बनाएं।
- प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद डालें।
- रासायनिक उर्वरक:
- नाइट्रोजन (120 कि.ग्रा.), फॉस्फोरस (60 कि.ग्रा.), और पोटाश (40 कि.ग्रा.) प्रति हेक्टेयर दें।
- नाइट्रोजन की मात्रा तीन बार में दें – बुवाई के समय, 30 दिन बाद, और 60 दिन बाद।
6. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
- पहली सिंचाई बुवाई के 5-7 दिन बाद करें।
- दूसरी सिंचाई घुटने की ऊंचाई पर पौधे आने पर करें।
- कुल 5-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली निराई-गुड़ाई 20-25 दिन बाद और दूसरी 40-45 दिन बाद करें।
- एट्राजीन (1-1.5 कि.ग्रा./हेक्टेयर) खरपतवारनाशी का उपयोग करें।
7. प्रमुख कीट और रोग नियंत्रण
कीट:
- फॉल आर्मीवॉर्म:
- बायो कंट्रोल: ट्राइकोग्रामा परजीवी का उपयोग करें।
- रासायनिक नियंत्रण: क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव करें।
- तना छेदक कीट: कार्बोफ्यूरान 3G का उपयोग करें।
रोग:
- झुलसा रोग: मैंकोजेब 2% का छिड़काव करें।
- रस्ट (जंग रोग): कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
- सड़न रोग: कार्बेन्डाजिम का उपयोग करें।
8. कटाई और उपज
- मक्का की फसल 90-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
- जब भुट्टे सूखने लगें और दाने कठोर हो जाएं, तब कटाई करें।
- कटाई के बाद दानों को धूप में सुखाकर भंडारण करें।
- औसत उपज 40-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, और संकर किस्मों से 80-100 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है।
9. विपणन और भंडारण
- ताजा भुट्टे और मक्का के दाने स्थानीय मंडियों में बेच सकते हैं।
- लंबे समय तक भंडारण के लिए दानों को नमी रहित स्थान पर रखें।
- मक्का प्रोसेसिंग (कॉर्न फ्लेक्स, स्टार्च, तेल, फीड इंडस्ट्री) के लिए भी उपयोगी है।
10. जैविक खेती के लिए सुझाव
- रासायनिक खाद की जगह वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली, और जैविक खाद का उपयोग करें।
- कीटनाशकों की जगह नीम तेल, ट्राइकोडर्मा, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- ड्रिप सिंचाई अपनाकर पानी की बचत करें।
निष्कर्ष
मक्का की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली फसल है। सही तकनीकों और उन्नत किस्मों का उपयोग करके किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
क्या आप संकर मक्का लगाना चाहेंगे या जैविक मक्का खेती में रुचि रखते हैं?