अरहर (Pigeon Pea) भारत में दालों की प्रमुख फसल है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होती है।
1. जलवायु और भूमि चयन
- अरहर गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है।
- 25-35°C तापमान और 60-100 सेमी वार्षिक वर्षा इसकी खेती के लिए उत्तम होती है।
- दोमट, बलुई दोमट और काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- मिट्टी का pH मान 6.5-7.5 होना चाहिए।
2. उन्नत किस्में
देशी किस्में:
- बी.डी.एन. 1
- टी.जे.टी. 501
- पी.टी. 221
संकर और उन्नत किस्में:
- आई.सी.पी.एल. 87
- पी.यू. 31
- पूसा 9
- एच.डी. 19
3. बुवाई का समय
मौसम | बुवाई का समय |
---|---|
खरीफ (मानसून) | जून-जुलाई |
रबी (सर्दी) | अक्टूबर-नवंबर (सिंचित क्षेत्र में) |
4. बीज की मात्रा और बुवाई विधि
- बीज दर: 15-20 किग्रा प्रति हेक्टेयर
- कतार से कतार की दूरी: 60-75 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 25-30 सेमी
- बीज को 3-5 सेमी गहराई में बोएं।
- बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।
5. खेत की तैयारी और खाद-उर्वरक प्रबंधन
- खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बनाएं।
- प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद डालें।
- रासायनिक उर्वरक:
- नाइट्रोजन (20 कि.ग्रा.), फॉस्फोरस (50 कि.ग्रा.), और पोटाश (30 कि.ग्रा.) प्रति हेक्टेयर दें।
- फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय दें।
6. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
- पहली सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद करें।
- दूसरी सिंचाई फूल आने के समय करें।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली निराई-गुड़ाई 25-30 दिन बाद और दूसरी 45-50 दिन बाद करें।
- इमाजेथापायर (750 मिली/हेक्टेयर) खरपतवारनाशी का उपयोग करें।
7. प्रमुख कीट और रोग नियंत्रण
कीट:
- फली छेदक कीट:
- इमामेक्टिन बेंजोएट का छिड़काव करें।
- माहू (Aphids):
- नीम तेल (5%) का छिड़काव करें।
रोग:
- फ्यूजेरियम विल्ट (जड़ गलन रोग):
- बीजोपचार करें और संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें।
- झुलसा रोग:
- मैंकोजेब 2% का छिड़काव करें।
8. कटाई और उपज
- फसल 150-180 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
- जब फली पीली पड़ जाए और पत्तियां सूखने लगें, तब कटाई करें।
- औसत उपज 15-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
9. विपणन और भंडारण
- ताजा अरहर की फली और दाने स्थानीय मंडियों में बेच सकते हैं।
- भंडारण के लिए दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाएं।
- दाल मिलों को सीधे बेचने से अच्छा लाभ मिल सकता है।
10. जैविक खेती के लिए सुझाव
- रासायनिक खाद की जगह वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली, और जैविक खाद का उपयोग करें।
- कीटनाशकों की जगह नीम तेल, ट्राइकोडर्मा, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- ड्रिप सिंचाई अपनाकर पानी की बचत करें।
निष्कर्ष
अरहर की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली फसल है। सही तकनीकों और उन्नत किस्मों का उपयोग करके किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
क्या आप संकर अरहर लगाना चाहेंगे या जैविक अरहर खेती में रुचि रखते हैं?
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