सरसों की अच्छी फसल के लिए संपूर्ण जानकारी
सरसों की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित जलवायु, मिट्टी, बीज, खाद, सिंचाई और रोग नियंत्रण की सही रणनीति अपनानी चाहिए। नीचे सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं की विस्तार से जानकारी दी गई है:
1. उपयुक्त जलवायु
✅ सरसों की फसल ठंडे मौसम में अच्छी तरह बढ़ती है।
✅ तापमान: 20-25°C आदर्श होता है, लेकिन 10°C से कम तापमान और 30°C से अधिक तापमान फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
✅ समय: रबी मौसम (अक्टूबर-नवंबर में बुवाई और फरवरी-मार्च में कटाई)।
✅ कम वर्षा (350-500 मिमी) वाले क्षेत्रों में बेहतर उत्पादन मिलता है।
2. उपयुक्त मिट्टी
✅ दोमट मिट्टी (Loamy Soil) या बालू- दोमट मिट्टी (Sandy Loam) सबसे उपयुक्त होती है।
✅ अच्छी जल निकासी होनी चाहिए ताकि जलभराव न हो।
✅ pH 6.0 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
✅ जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी का चयन करें।
3. उन्नत किस्में (High Yielding Varieties)
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत बीजों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
✅ प्रमुख किस्में
- राई (Indian Mustard) के लिए: Pusa Bold, Pusa Vijay, Kranti, RH-30, RH-74
- यलो सरसों के लिए: Pusa Mustard-25, NRCYS-05-02
- तारामीरा के लिए: T-27, RTM-1351
- असिंचित क्षेत्रों के लिए: RH-725, NRCDR-2
- जलभराव सहनशील किस्में: Pusa Tarak, Pusa Agrani
4. खेत की तैयारी
✅ 1-2 गहरी जुताई करके खेत को तैयार करें।
✅ मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 2-3 हल्की जुताई करें और पाटा लगाएँ।
✅ अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें ताकि पानी खेत में जमा न हो।
5. बुवाई का समय और बीज दर
✅ बुवाई का सही समय
- सिंचित क्षेत्र: 15 अक्टूबर से 10 नवंबर
- असिंचित क्षेत्र: 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर
- देरी से बुवाई करने पर उत्पादन कम हो सकता है।
✅ बीज की मात्रा
- सिंचित खेत: 3-5 किग्रा प्रति हेक्टेयर
- असिंचित खेत: 5-7 किग्रा प्रति हेक्टेयर
- कतार से कतार की दूरी: 30-45 सेमी
- पौधे से पौधे की दूरी: 10-12 सेमी
- बुवाई गहराई: 3-4 सेमी गहराई पर करें
6. उर्वरक और खाद प्रबंधन
✅ उर्वरक की मात्रा (प्रति हेक्टेयर)
- नाइट्रोजन (N) – 80-100 किग्रा
- फास्फोरस (P) – 40-50 किग्रा
- पोटाश (K) – 40 किग्रा
- सल्फर (S) – 20-25 किग्रा
- जैविक खाद – 10-15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट
👉 खाद देने का सही तरीका:
- नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी आधी 30-35 दिन बाद दें।
- फास्फोरस, पोटाश और सल्फर बुवाई से पहले दें।
- जैविक खाद खेत तैयार करते समय डालें।
7. सिंचाई प्रबंधन
✅ सरसों की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती।
✅ सिंचाई के महत्वपूर्ण चरण:
- पहली सिंचाई: बुवाई के 20-25 दिन बाद
- दूसरी सिंचाई: फूल आने के समय (45-50 दिन बाद)
- तीसरी सिंचाई: फली बनने के समय (70-80 दिन बाद)
✅ यदि वर्षा कम हो तो 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती हैं।
8. रोग एवं कीट नियंत्रण
सरसों की फसल को निम्नलिखित रोगों और कीटों से बचाने के लिए उचित उपाय करें:
✅ प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण
रोग का नाम | लक्षण | उपचार |
---|---|---|
तना गलन (Stem Rot) | पौधे के तने काले होकर गलने लगते हैं | 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें |
चूर्णी फफूंद (Powdery Mildew) | सफेद पाउडर जैसा लेप दिखता है | सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |
सफेद गिल्ली (White Rust) | पत्तियों और तनों पर सफेद धब्बे | मेटालैक्सिल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें |
✅ प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण
कीट का नाम | लक्षण | उपचार |
---|---|---|
माहू (Aphid) | पत्तियों और फली पर चिपक कर रस चूसते हैं | 1 मि.ली. डाइमिथोएट प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |
सफेद मक्खी (White Fly) | पत्तियों पर सफेद रंग के कीट दिखाई देते हैं | 5% नीम का तेल छिड़काव करें |
9. कटाई और उपज
✅ सरसों की फसल 110-140 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
✅ जब 80% फलियाँ पककर भूरे रंग की हो जाएं, तो कटाई करें।
✅ फसल को अच्छी तरह सूखाकर दंवाई करें और भंडारण से पहले नमी को 8-10% तक सुखाएं।
✅ सरसों की औसत पैदावार 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
10. अतिरिक्त टिप्स
✅ बीजोपचार: बुवाई से पहले बीज को 2 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
✅ खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।
✅ रासायनिक उर्वरकों के साथ जैविक खाद का उपयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
✅ फसल चक्र अपनाएं: सरसों को चने, गेहूं या जौ के साथ रोटेशन में उगाने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
निष्कर्ष
अगर आप उपयुक्त मिट्टी, जलवायु, उन्नत बीज, सही उर्वरक, सिंचाई और रोग प्रबंधन का पालन करते हैं, तो सरसों की फसल से बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। सही देखभाल से सरसों की खेती अत्यधिक लाभदायक साबित हो सकती है। 🚜🌿
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